मिर्ज़ा ग़ालिब का नाम उर्दू और हिंदी साहित्य में शायरी के सम्राटों में लिया जाता है। उनकी शायरी दिल की गहराइयों को छूने वाली होती है, जहाँ हर शब्द में दर्द, इश्क़, तन्हाई और ज़िंदगी की सच्चाई झलकती है।
इस लेख में हम आपके लिए 20 बेहद खूबसूरत और दिल छू लेने वाली Mirza Ghalib Shayari in Hindi लेकर आए हैं, जिन्हें पढ़कर आप भी ग़ालिब की कलम की जादूगरी को महसूस करेंगे।
Ghalib Shayari | Mirza Ghalib Shayari in Hindi
हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश पे दम निकले,
बहुत निकले मेरे अरमाँ लेकिन फिर भी कम निकले।
दिल ही तो है न संग-ओ-ख़िश्त दर्द से भर न आए क्यूँ,
रोएंगे हम हज़ार बार, कोई हमें रुलाए क्यूँ।
इश्क़ पर ज़ोर नहीं है ये वो आतिश ‘ग़ालिब’,
जो लगाए न लगे और बुझाए न बने।
रंज से ख़ूगर हुआ इंसान तो मिट जाता है रंज,
मुश्किलें मुझ पर पड़ीं इतनी कि आसाँ हो गईं।
हमको मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन,
दिल को खुश रखने को ‘ग़ालिब’ ये ख़याल अच्छा है।
न था कुछ तो ख़ुदा था, कुछ न होता तो ख़ुदा होता,
डुबोया मुझको होने ने, न होता मैं तो क्या होता।
दिल ढूंढता है फिर वही फ़ुर्सत के रात दिन,
बैठें रहें तसव्वुर-ए-जानाँ किए हुए।
Download Imageकोई उम्मीद बर नहीं आती,
कोई सूरत नज़र नहीं आती।
बाज़ीचा-ए-अत्फ़ाल है दुनिया मेरे आगे,
होता है शब-ओ-रोज़ तमाशा मेरे आगे।
हस्ती का एतमाद भी क्या,
एक धुँध है, जो छा रही है।
जला है जिस्म जहाँ दिल भी जल गया होगा,
कुरेदते हो जो राख जरा ध्यान से देखो।
हज़ारों जवाबों से अच्छी है मेरी ख़ामोशी,
न जाने कितने सवालों की आबरू रख ले।
तू इधर उधर की न बात कर, ये बता कि क़ाफ़िला क्यूँ लुटा,
मुझे रहज़नों से गिला नहीं, तेरी रहबरी का सवाल है।
जब तवक़्क़ो ही उठ गई ‘ग़ालिब’,
क्यूँ किसी का गिला करें।
हम न बदलेंगे वक्त की रफ़्तार के साथ,
जब भी मिलेंगे अंदाज़ पुराना होगा।
हर एक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है,
तुम्हीं कहो कि ये अंदाज़-ए-गुफ़्तगू क्या है।
क़ासिद के आते-आते ख़त इक और लिख रखूँ,
मैं जानता हूँ जो वो लिखेंगे जवाब में।
दिल-ए-नादान तुझे हुआ क्या है,
आख़िर इस दर्द की दवा क्या है।
दर्द मिन्नत-कश-ए-दवा न हुआ,
मैं न अच्छा हुआ बुरा न हुआ।
नुक़्ता-चीं है ग़म-ए-दिल उसको सुनाए न बने,
क्या बने बात जहाँ बात बनाए न बने।
Writer:- Click on this link to contact our content writer
शायरी के पीछे की भावनाएं
मिर्ज़ा ग़ालिब की शायरी में एक अलग तरह की जादूगरी है। वह हर उस शख्स से जुड़ जाती है जिसने कभी दिल से मोहब्बत की हो, किसी को खोया हो या अकेलेपन में दर्द सहा हो। उनकी शायरी सिर्फ शब्द नहीं, जज़्बात हैं — जो कभी सुकून देती है, तो कभी अंदर तक हिला देती है।
निष्कर्ष
Mirza Ghalib Shayari in Hindi आज भी उतनी ही प्रासंगिक और दिल को छू लेने वाली है जितनी उनके दौर में थी। जब भी दिल दुखी हो, मोहब्बत में ठोकर लगी हो, या ज़िंदगी से सवाल करने का मन हो — ग़ालिब की शायरी एक साथी बन जाती है।